Friday, 9 December 2016

मेरी प्यारी अंवेशा


मेरी प्यारी अंवेशा


एक चाहत सी दिल में थी हमेशा से बनी ,
उसे रूप लेकर आ गयी मेरी नन्ही सी परी ।
                                                            चाहत  जो दिल में थी, वो पूरी हो गयी ।
 एक प्यारी सी बेटी के बाप बनने की हसरत पूरी हो गयी।
तेरी मुस्कान, तेरी मस्ती, तेरे प्यार में इतना खो गया ,
पता ही न चला , कब एक वर्ष पूरा हो गया। 
तू कब करवट, कब गुठनो, कब पाव पर चलने लगी ,
पता ही ना चला , कैसे तू जीवन में प्यार और खुशियां भरने लगी।
 तेरे फलीभूत होने से सबको गर्व की अनुभूति होगी,
आशा है तुझे हर जीव, हर जाति,  हर धर्म से सहानुभूति होगी। 
 तेरे मुख से निकला "पापा" शब्द मिस्री सा मीठा लगता है ,
सूखे मरू से कानो में संजीविनी सा लगता है।
अभी तो शुरुआत है बेटा, तुझे पढ़ना, चलना और दौड़ना होगा ,
जीवन पथ पर हमेशा साहस से आगे बढ़ना होगा। 
गर आये मेरे बेटे, कोई हलचल आने वाले जीवन में ,
एक रत्ती भर भी डर ना हो, हो केवल खुद पर विश्वास तेरे मन में।
लोग पूछते है मुझसे , आपको इससे इतनी क्यों आशा है ,
मैं बस यही कह पता हूँ, ये अवनीश की अन्वेषा है।
जो दिल में आये, वो करना , जो दिल चाहे वो बनना,
पर बड़ो का सम्मान, उज्जवल भविष्य का ध्यान रखना।  
जो मैं कर ना पाया, वो ये करेगी ,सबके जीवन में खुशियो के रंग भरेगी।
ये कर जाएगी कुछ ऐसा, सबका सर फक्र से ऊँचा करेगी। 
तू संस्कारो की जान बनेगी, पुरे घर की मान बनेगी,

श्रद्धा और विश्वास है बेटी, तू मेरी शान बनेगी।