मेरी नटखट अन्वेषा
पापा, घल जल्दी आना,
गुब्बाले और टोफी लाना,
जब तेरी आवाज कानो मे पडती है,
सच मे जीने कि चाह बढती है,
धीरे धीरे, चलते गिरते दौड़ने लगी तू ,
जीवन में हर रस को घोलने लगी तू ,
तेरी तुतली आवाज अजब सी ख़ुशी देती है ,
सारे तकलीफो को पल में हर लेती है ,
अभी कल की बात ही तो लगती है,
तू मेरी गोद में पहली बार आयी है,
दो साल बीत गए,
पर अब भी महसूस होता है,
तू मुझ सी और मेरी ही परछाई है,
सच में ,
तुझे वो हर बात पसंद है , जो मुझे भी है,
तुझे वो हर रंग पसंद है , जो मुझे भी है,
तुझे वो हर चीज़ पसंद है , जो मुझे भी है,
तुझे वो हर राग पसंद है , जो मुझे भी है,
तु मेरी सुख की संभावना है,
तु मेरी ईश्वर की आराधना है।
तु है तो ये सुन्दर सा जहां है,
तु नहीं तो तेरे पापा का अस्तित्व कहाँ है?
तु है तो, घर में पायल की छनकार होती है,
तु है तो, घर में खुशियों की भरमार होती है,
तेरे नन्हे हाथो का स्पर्श, फूलो का सा लगता है,
तेरी प्यारी माँ को मेरे पास होने सा लगता है.
ऐसे ही चलते हुए, हॅसते हुए, खेलते हुए,
तुझे बढ़ते रहना है,
जीवन की हर बुलंदियों को छू, मेरी शान और खुद की मान बढ़ाते रहना है।