Tuesday, 20 August 2024

आजादी! कैसी ये आजादी….

 

जहां बोले मुख, पर मन मौन है, जहां कहने को सुख है, पर न चैन है।

दिखलाने को खुशी, रूह बेचैन है...

क्या इस के लिए सीने पर गोली खाई थी पुरखो ने, क्या यह मंजर सोचा था लड़ाकू गोरखो ने,

कहने को लब आजाद है, पर विचार कैद है, जितने की कस म कस है, पर जहर ए जैद है।

मेरे पुरखे खोए, तीन भाई और दो बेटे, और आज की अराजकता देख, हम अब भी ना चेते।

लड़ाई अभी बाकी है दोस्त, मन में मन की जीत की, अकेले मुश्किल है, जरूरत है तुम जैसे मीत की।

देश तो आजाद है पर क्या वासी आजाद हुए, क्या भारत और इंडिया के अंतर तुम्हे ज्ञात हुए।

गर नही तो सुनो, बतलाता हूं राज इन दोनों का, नख और सिख का अंतर है, गिनवाता हूं साज इन दोनों का।

भारत, जो दिलों में बसता है, करता है सेवा सब जन की, इंडिया, वो जो चाहे छीनना वस्त्र भी हर तन की।

भारत, वो जो देता है दान सदैव ही ज्ञान का, इंडिया, वो जो करे दिखावा अभिमान का।

भारत, जहां सब का सब से काम हो, इंडिया, जहां रंगरलियों से भरी शाम हो।

भारत, जिसके हर जन के दिल में काबा काशी हो, इंडिया, जिसके जनों में छल, पर दिखावे को मृदुभाषी हो।

भारत, जो देने को धर्म मानता हो, इंडिया, जो लूटने को कर्म मानता हो।

बहुत है अंतर दोनो में, क्या क्या बताऊं, मन के दर्द को तुम्हे कैसे दिखाऊं।

लड़े से शान से मेरे दादा, परदादा और दिया साथ नेताजी बोस का, उन्हे क्या पता था, हम सम्हाल ना पाएंगे, उमंग अपने जोश का।

मुझे कहा गया था लिखो कुछ खास, पर टूटे छन से पढ़ के मेरी कविता उनके आस।

आजादी का मतलब गुलामी से ही नहीं, सोच से भी है। कुर्बानी से, दायित्व निर्वहन से और प्रेम से भी है।

आजादी जो समाज को एक करने को थी, सत्य और साहस से बुराई और जातिवाद से लड़ने को थी।

पर क्या आज इसको, इसका साज मिला, मेरे पुरखो को कुर्बानी का ताज मिला।

नही...

राजनीति ने सुरसा बन कद फैलाया, पर निश्छल युवक इसके कैद से बच ना पाया।

जाति, धर्म और मेरा तेरा से आगे बढ़ने ना दिया, काहे की आजादी, जीने भी नही मरने भी ना दिया।

आरक्षण से तपाया, कभी हंगामों के शोर से, बटवारे से डराया, कभी बाजुओं के जोर से।

पर अब सब जाग गए है, और सोते को जगाएंगे, दुख को भूल, जीत के गीत गायेंगे।

आजादी किसे कहते है, यह पाठ पढ़ाएंगे, सब से सब का मेल हो, इसको गांठ बनाएंगे।

कड़वी है पर मन के भाव है, कड़ी धूप के बाद की छाव है।

अब तो आजाद होकर रहेंगे, छूत के पाप धो कर रहेंगे।

 

तब भारत आजाद होगा, आने वाले पीढ़ी को हमारा बलिदान याद होगा।

:- अवनीश वर्मा