सब
खुश है, सब खुश ही तो हैं, आप कैसे हैं पापा,
यहां
किसी चीज की कमी नहीं, पर आप वहाँ कैसे हैं पापा,
फर्क
बस इतना आया है तब में और अब में,
आप
दिखते तो हो धरा और नभ में ,
पर
आपको छू नहीं सकता, बातें कर नहीं सकता अब मैं ,
हसती
आँखों में बीते वक्त का कारवां साथ चलता है,
पर
दिल में कहीं देख छोटा सा दर्द हमेशा पलता है,
ख्वाहिशों
का बोझ लिए जिंदगी में,
एक-एक कर हर अरमान जल जलता है,
बंजर
है सपनों की धरती, उम्मीदों का सूखा आसमान लगता है
लगता
है बैठ कहीं आप मुझे आवाज लगाते हो,
खाली
कुर्सी देख पापा आप याद बहुत आते है,
तस्वीर
देख आपकी, बेटी करती है खड़ा पहाड़ रोज सवालों का,
तूफान
से चलता रहता है मन में आपके ख्यालों का,
क्या बताऊं उसे , गए क्यों आप, मिलने क्यों नहीं आते हो,
सोफे का कोने पर बैठा देख उसे, आप
याद बहुत आते हैं,
आज
अपने बेटे को देख मुझे यह लगता है हर बेटा अपने पिता की जान होता है,
पर
यह भी एक सच है कि हर पिता सिर्फ पिता नहीं बेटे की पहचान होता है,
बच्चों
की खुशियों को पूरा करना हर पिता का अरमान होता है,
पर
दुनिया के हर रिश्ते से ज्यादा ठोस पिता का सम्मान होता है।
No comments:
Post a Comment