Saturday, 3 October 2020

पिता की अहमियत

 एक पिता की अहमियत क्या है,

 इसका जवाब वक्त मेरे सामने लाया है, किन हालातों से गुजरे होंगे,

 मुझे पालने के लिए आप,

 यह मुझे खुद

 पिता बन कर समझ में आया है।।


किसी चीज की कमी न थी,

 आप थे तो दुनिया कितनी प्यारी थी, आज परिवार की जरूरतों में जिंदगी कट रही है,

 तो एहसास होता है,

 आपके कंधों पर जिम्मेदारी कितनी भारी थी।।


जब भी कमी खलती है आपकी,

 आपके यादों से मुलाकात कर लेता हूं,

 अब आपसे मिलना मुमकिन कहां,

 इसलिए आपकी तस्वीर से बात कर लेता हूं।।


मैं खुश हूं खुश ही तो हूं,

यह कहना अच्छा लगता है,

 पर सच्चाई यह है,

 मैं खुश तब था उस बचपन में,

 जब आपके कंधे पर बैठा था,

 मगर बहुत रोया था जब,

 आप मेरे कंधे पर थे।।


यह वादा है कि जब तक जी रहा हूं,

 आपके दिए संस्कार पर चलना मेरा काम रहेगा,

 हां मानता हूं, जिंदगी में आपका साथ नहीं,

 मगर मरते दम तक मेरे नाम के साथ आपका नाम रहेगा।।

:-आपका

 अवनीश शंभुजी वर्मा

24/01/2020

मेरी बेटी, मेरे जीवन का सार

 मेरी बेटी, मेरे जीवन का सार, 

 तेरे आंसू मेरी हार, 

 तेरी मुस्कान सांसो की धार,

 खुशियों का पल, जीने की चाह,

 तुझ में ही तो है मेरा संसार।।


 पांच साल पहले मैं सिर्फ मैं था,

 तेरे आने से बना मेरा परिवार।।

 तू आई खुशियां लेकर, 

 किनारे लौटा, था मैं मझधार।। 


 मेरे पिता को तूने नहीं देखा, 

 पर तुझ में वह दिखते हैं, 

 तेरे रूठने, हंसने और बोलने में, 

 छवि बन झलकते हैं।।


 जब हारता हूं खुद से तो, 

 तू ताकत बन दिखती है,

 डूबे सूरज के मध्यम रोशनी में, 

 तू जीवन का तेज बन निखरती है।। 


 अभी बहुत छोटी है तू बेटा, 

 शायद यह बातें समझ ना आएगी, 

 पर जब तू बड़ी होगी, अपने पैरों पर खड़ी होगी,

 मैं रहूं ना रहूं, हर मुश्किल घड़ी में पास पाएगी।।


 जन्मदिन पर तोहफे तो बहुत मिलते हैं, 

 पर मैं दे रहा हूं आशीष आपार,

 और क्या दूं तुझे सब तेरा ही तो है,

 तुझ से ही तो है खुशियों का संसार।।


तुम्हारा पापा,

 अवनीश

26/09/2020