एक पिता की अहमियत क्या है,
इसका जवाब वक्त मेरे सामने लाया है, किन हालातों से गुजरे होंगे,
मुझे पालने के लिए आप,
यह मुझे खुद
पिता बन कर समझ में आया है।।
किसी चीज की कमी न थी,
आप थे तो दुनिया कितनी प्यारी थी, आज परिवार की जरूरतों में जिंदगी कट रही है,
तो एहसास होता है,
आपके कंधों पर जिम्मेदारी कितनी भारी थी।।
जब भी कमी खलती है आपकी,
आपके यादों से मुलाकात कर लेता हूं,
अब आपसे मिलना मुमकिन कहां,
इसलिए आपकी तस्वीर से बात कर लेता हूं।।
मैं खुश हूं खुश ही तो हूं,
यह कहना अच्छा लगता है,
पर सच्चाई यह है,
मैं खुश तब था उस बचपन में,
जब आपके कंधे पर बैठा था,
मगर बहुत रोया था जब,
आप मेरे कंधे पर थे।।
यह वादा है कि जब तक जी रहा हूं,
आपके दिए संस्कार पर चलना मेरा काम रहेगा,
हां मानता हूं, जिंदगी में आपका साथ नहीं,
मगर मरते दम तक मेरे नाम के साथ आपका नाम रहेगा।।
:-आपका
अवनीश शंभुजी वर्मा
24/01/2020
No comments:
Post a Comment