मेरी बेटी, मेरे जीवन का सार,
तेरे आंसू मेरी हार,
तेरी मुस्कान सांसो की धार,
खुशियों का पल, जीने की चाह,
तुझ में ही तो है मेरा संसार।।
पांच साल पहले मैं सिर्फ मैं था,
तेरे आने से बना मेरा परिवार।।
तू आई खुशियां लेकर,
किनारे लौटा, था मैं मझधार।।
मेरे पिता को तूने नहीं देखा,
पर तुझ में वह दिखते हैं,
तेरे रूठने, हंसने और बोलने में,
छवि बन झलकते हैं।।
जब हारता हूं खुद से तो,
तू ताकत बन दिखती है,
डूबे सूरज के मध्यम रोशनी में,
तू जीवन का तेज बन निखरती है।।
अभी बहुत छोटी है तू बेटा,
शायद यह बातें समझ ना आएगी,
पर जब तू बड़ी होगी, अपने पैरों पर खड़ी होगी,
मैं रहूं ना रहूं, हर मुश्किल घड़ी में पास पाएगी।।
जन्मदिन पर तोहफे तो बहुत मिलते हैं,
पर मैं दे रहा हूं आशीष आपार,
और क्या दूं तुझे सब तेरा ही तो है,
तुझ से ही तो है खुशियों का संसार।।
तुम्हारा पापा,
अवनीश
26/09/2020
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