׀׀ॐ׀׀
जिन्दगी
एक ऐसी पहेली, जिसका ना कोई अर्थ ना ही कोई सार ׀׀
कभी लगती खुशहाल, तो कभी बेकार ׀׀
एक
पल में खुशी भरपुर, एक पल में सब सफा ,
मैं
क्या कोई न समझ पाया आजतक इसका फल्सफा ׀׀
ये रोज नए रंग मे ढल जाती हैं,
कभी दोस्त तो कभी दुश्मन सी नजर आती हैं ׀׀
कभी
छा जाए, बरस जाए, घटा बेमौसम,
कभी
एक बुंद को भी रुह तरस जाती हैं ׀׀
अगर किसी को पता है इसका अर्थ,
तो बताए मुझे कैसे नही है यह व्यर्थ ׀׀
या
फिर समझाए बस इतना हाल,
कि
कैसे बनाए इसे खुशहाल ׀׀
कभी तो सोचता हुँ, भुला दुं अपनी ह्स्ती,
फिर सोचता हुँ, दुबारा कहाँ मिलेगी इतनी सस्ती ׀׀
कभी
लगता है ये सस्ती नही बहुत महंगी है,
क्योंकि
इसे बनाने मे कितनो ने कि बदंगी है ׀׀
अभी मै यही सोच रहा था कि किसी ने दी आवाज,
कि जीवन चलते रहने का नाम हैं ׀׀
मैनें
ये सुना फिर सोचा कि जब सभी यही करते हैं,
तो
मै भी चलकर देखता हुँ, तत्काल दुसरा क्या काम है ׀׀
अभी तक चलकर मैनें यह माना है,
ये बहुत–बहुत
ही सुहाना है ׀׀
अगर
कठोर है तो नरमी भी हैं,
अगर
ठंडक है तो गरमी भी है ׀׀
मैं खुद तो चलते रहुंगा, और दुसरो को भी कहुंगा,
कि........................,
जीवन चलते रहने का
नाम हैं ׀׀
जीवन चलते रहने का नाम हैं ׀׀
20/06/2007
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