׀׀ॐ׀׀
“आशि”याना
सोचा
था जीत जाउँगा कभी,
एक
“आशि”याना बनाउंगा कभी ׀׀
अपनी इसी सोच मे आ
गया इतना आगे,
टुट गये जीवन मे “अक्षित”
सभी धागे ׀׀
अपना
ही अहम हावी हुआ मुझपे,
कुछ
पाने कि चाह मे जो था वो भी छीन गया मुझसे ׀׀
वो मेरा अहम ही है जो
कहता है,
पहले उस लायक हो जा जिसे
तु चाहता है ׀׀
वो
कहाँ तकदीर कि धनी, तु बेरोजगार׀
तेरी
किस्तो कि गाडी, उसकी अग्रीम कि कार׀
क्या ये मेरा स्वभिमान था
या अहम,
या मेरा ये सोचना ही हैं
वहम ׀
मुझे
पत्ता है अगर चाहता तो,
“आशि”याना मेरा ही होता ׀
पर क्या मै अपने स्वभिमान
के हार पर,
जीवन भर अंदर – ही –
अंदर नहीं रोता ׀
मै
दुखी हुँ जाने से तेरे,
पर
दिल मे अब भी तेरा अक्स है ׀
पर तब भी तुने पह्चान
मुझे,
हौसला ही दिया, दोस्त तु
कैसा शक्स है ?
तुने
चाहत कि एक अलग ही दे दी है मिशाल,
इसी
कारण मेरे मन मे भी अब नहीं रहा कोई मलाल ׀
पर उन यादो का क्या,जिनके आते ही,
आँखे भीग जाती है ׀
उन
लम्हो का क्या, जिन्हे पढते ही,
आँखे भीग जाती है ׀
जब कभी महसुस होती है
तेरी खुशबू,
आँखे भीग जाती है ׀
तेरा
नाम लिखने कि इजाजत,छीन गयी जबसे,
कोई भी नाम जो लिखता हुँ,
तो आँखे भीग जाती है ׀
9/09/2008
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